7 मोक्ष पुरी (7 Moksha Puri )
पुराणों तथा ग्रंथो के मान्यतानुसार भारत में सात ऐसे स्थान हैं, जिन्हें मोक्षदायिनी सप्त पुरियां कहा जाता है।
जिसे एक श्लोक द्वारा समझा जा सकता है :अयोध्या-मथुरामायाकाशीकांचीत्वन्तिका, पुरी द्वारावतीचैव सप्तैते मोक्षदायिकाः।
1. अयोध्या – उत्तर प्रदेश
भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम का जन्म अयोध्या की पवित्र भूमि पर ही हुआ था। त्रेता युग से कलयुग तक अपनी पहचान बनाने वाले अयोध्या शहर को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है। इस नगरी के पास सरयू नदी बहती है जहाँ भगवान श्रीराम ने जल समाधि लेकर वैकुण्ठ लोक की ओर प्रस्थान किया था।
2. मथुरा – उत्तर प्रदेश
मथुरा में भगवान कृष्ण के जन्म स्थान होने के कारण इस स्थान की पवित्रता और भी बढ़ जाती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार मथुरा को भगवान राम के सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न द्वारा खोजा गया था। यह नगरी श्राद्ध कर्म के लिए विशेष है। दूर-दूर से लोग यहां अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए आते हैं। मथुरा नगरी के पास यमुना नदी बहती है।वराह पुराण में कहा गया है कि इस नगरी में जो लोग शुद्ध विचार से निवास करते हैं, वे मनुष्य के रूप में साक्षात देवता हैं।
3. हरिद्वार – उत्तराखंड
हरिद्वार दो शब्दों हरि + द्वार का मेल है। यहां हरि से तात्पर्य है भगवान विष्णु है। मां गंगा के किनारे बसा यह शहर दुनिया के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है। इसे पौराणिक व्याख्या में ‘मायापुरी’ के नाम से भी पुकारा गया है। भगवान शिव के केशों से निकली गंगा नदी इस शहर की पवित्रता को और भी बढ़ाती है। वर्षों से लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए हरिद्वार के दर्शन करने आते हैं।
4. काशी – वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
काशी को बनारस या वाराणसी भी कहा जाता है। इस नगरी में गंगा नदी के साथ अन्य दो नदियां वरुणा एवं असी नदी भी यहां मौजूद हैं। वरुण एवं असी नदी के मेल से ही इस नगर का नाम वाराणसी पड़ा। सनातन धर्म के चार वेदों में से एक वेद ऋग्वेद में काशी का वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार काशी को शिव की नगरी कहा जाता है। यह नगरी भगवान शिव के सबसे प्रिय स्थानों में से एक मानी गई है तथा 12 ज्योतिर्लिंग में से विश्वनाथ’ ज्योतिर्लिंग भी है जो की मोक्ष प्रदान करने वाला है |
5. कांची (कांचीपुरम) – तमिलनाडु
कांचीपुरम तीर्थपुरी दक्षिण की काशी के रूप में जाना जाता है। कांचीपुरम या कांची को सृष्टि की रचनाकार भगवान ब्रह्मा द्वारा निर्मित माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थान पर भगवान ब्रह्मा ने देवी के दर्शन के लिए तप किया था।
6. उज्जैन (अवंतिका) – मध्य प्रदेश
उज्जैन का प्राचीनतम नाम अवन्तिका है जिसे अवन्ति नामक राजा के नाम पर रखा गया था। प्राचीन काल में उज्जयिनी महाराज विक्रमादित्य की राजधानी थी।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में देशान्तर की शून्य रेखा उज्जयिनी से निर्धारित की गई है। इसे कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर 12 साल में सिंहस्थ कुंभ मेला लगता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकाल ज्योतिर्लिंग इस नगरी में स्थित है।
7. द्वारिका – गुजरात
भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका नगरी को स्वयं भगवान द्वारा ही बनवाया गया था। इसका प्राचीन नाम कुशस्थली था। एक पौराणिक कथा के अनुसार महाराजा रैवतक के समुद्र में कुश बिछाकर यज्ञ करने के कारण ही इस नगरी का नाम कुशस्थली हुआ था।विष्णु पुराण में भी द्वारका नगरी के रूप में स्थापित होने की बात कही गई है।
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