|| श्री राधा आरती ||
Shree Radha Rani
जै जै श्रीराधेजू मैं शरण तिहारी।
लोचन आरती जाऊँ बलिहारी।। जै जै हो।।
पाट पटम्बर ओढ़े नील सारी।
सीस के सैन्दुर जाऊँ बलिहारी।। जै जै हो ।।
रतन सिंहासन बैठे श्री राधे।
आरती करें हम पिय संग जोरी।। जै जै हो ।।
झलमल-झलमल मानिक मोती।
अब लक मुनि मोहे पिय संग जोरी।। जै जै हो ।।
श्रीराधे पद पंकज भगति की आशा।
दास मनोहर करत भरोसा।।
राधा-कृष्ण की जाऊँ बलिहारी।। जै जै हो ।।
श्रीशुकदेवजी की आराध्या श्री राधा रानी थीं।
उनके शब्दों में–‘जिसके समान न कोई है और न बढ़कर है ऐसी श्री राधा के साथ अपने आनन्दस्वरूप में रमण करने वाले श्रीकृष्ण को हम नमस्कार करते हैं।’
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